Bhagwan shiv shankar rudrabhishek vidhi, Mahadev Ke rudrabhishek kaise kre.

 महादेव को प्रसन्न करने का रामबाण उपाय है रुद्राभिषेक , शास्त्रों के जानकारों की मानें तो सही समय पर रुद्राभिषेक करके आप शिवजी से मनचाहा वरदान पा सकते हैं , क्योंकि शिवजी के रुद्र रूप को बहुत प्रिय है !

Bhagwan shiv Ke rudrabhishek kaise kre full vidhi In hindi. 

Bhagwan shiv rudrabhishek

अभिषेक , 

भोलेनाथ सबसे सरल उपासना से भी प्रसन्न होते हैं , लेकिन रुद्राभिषेक उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है । कहते हैं कि रुद्राभिषेक से शिवजी को प्रसन्न करके आप असंभव को भी संभव करने की शक्ति पा सकते हैं , तो आप भी सही समय पर रुद्राभिषेक करियें और शिवजी की कृपा के भागी बनियें , रुद्र रूप भगवान भोलेनाथ का ही प्रचंड रूप हैं , शिवजी की कृपा से सारे ग्रह बाधाओं और सारी समस्याओं का नाश होता हैं । शिवलिंग पर मंत्रों के साथ विशेष चीजें अर्पित करना ही रुद्राभिषेक कहा जाता है , रुद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का पाठ करते हैं , सावन में तो रुद्राभिषेक करना ज्यादा शुभ होता है , रुद्राभिषेक करने से मनोकामनायें जल्दी पूरी होती हैं , रुद्राभिषेक कोई भी कष्ट या ग्रहों की पीड़ा दूर करने का सबसे उत्तम उपाय है । अलग - अलग शिवलिंगों और अलग - अलग स्थानों पर रुद्राभिषेक करने का फल भी अलग होता है , आप पढ़िये और समझिये कि कौन से शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना ज्यादा फलदायी होता है , मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना बहुत उत्तम होता है , इसके अलावा घर में स्थापित शिवलिंग पर भी अभिषेक कर सकते हैं । रुद्राभिषेक घर से ज्यादा मंदिर में , नदी तट पर और सबसे ज्यादा पर्वतों पर फलदायी होता है , शिवलिंग न हो तो अंगूठे को भी शिवलिंग मानकर उसका अभिषेक कर सकते हैं , रुद्राभिषेक में मनोकामना के अनुसार अलग - अलग वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है , ऋषि मानते हैं कि जिस वस्तु से रुद्राभिषेक करते हैं , उससे जुड़ी मनोकामना ही पूरी होती है ।
तो आप भी जानिये कि कौन सी वस्तु से रुद्राभिषेक करने से पूरी होगी आपकी मनोकामनायें , घी की धारा से अभिषेक करने से वंश बढ़ता है , इक्षुरस ( गन्ना ) से अभिषेक करने से दुर्योग नष्ट होते हैं , और मनोकामनाएं पूरी होती हैं , शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने से इंसान विद्वान हो जाता है , शहद से अभिषेक करने से पुरानी बीमारियां नष्ट हो जाती हैं । गाय के दूध से अभिषेक करने से आरोग्य मिलता है , शक्कर मिले जल से अभिषेक करने से संतान प्राप्ति सरल हो जाती हैं , भस्म से अभिषेक करने से इंसान को मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है , कुछ विशेष परिस्थितियों में तेल से भी शिव जी का अभिषेक होता है , कोई भी धार्मिक काम करने में समय और मुहूर्त का विशेष महत्व होता है , रुद्राभिषेक के लिए भी कुछ उत्तम योग बनते हैं । हम जानते हैं कि कौन सा समय रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे उत्तम होता है , रुद्राभिषेक के लिए शिव जी की उपस्थिति देखना बहुत जरूरी है , शिव जी का निवास देखे बिना कभी भी रुद्राभिषेक न करें , बुरा प्रभाव होता है , शिव जी का निवास तभी देखें , जब मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक करना हो , शिव जी का निवास कब मंगलकारी होता है ? देवों के देव महादेव ब्रह्माण्ड में घूमते रहते हैं , महादेव कभी माँ गौरी के साथ होते हैं , तो कभी - कभी कैलाश पर विराजते हैं , ज्योतिषाचार्याओं की मानें तो रुद्राभिषेक तभी करना चाहिये जब शिवजी का निवास मंगलकारी हो , हर महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी को शिवजी माँ गौरी के साथ रहते हैं । हर महीने कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा , अष्टमी और अमावस्या को भी शिवजी माँ गौरी के साथ रहते हैं , कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और एकादशी को महादेव कैलाश पर वास करते हैं , शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि को भी महादेव कैलाश पर ही रहते हैं , कृष्ण पक्ष की पंचमी और द्वादशी को शिवजी नंदी पर सवार होकर पूरा विश्व भ्रमण करते हैं ।
शुक्ल पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी तिथि को भी शिव जी विश्व भ्रमण पर होते हैं , रुद्राभिषेक के लिए इन तिथियों में महादेव का निवास मंगलकारी होता है , यह भी जानना अति आवश्यक है कि शिवजी का निवास कब अनिष्टकारी होता है ? शिव आराधना का सबसे उत्तम तरीका है रुद्राभिषेक , लेकिन रुद्राभिषेक करने से पहले शिव के अनिष्टकारी निवास का ध्यान रखना बहुत जरूरी है । 
कृष्णपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भगवान शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं , शुक्लपक्ष की प्रतिपदा , अष्टमी और पूर्णिमा को भी शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं , कृष्ण पक्ष की द्वितीया और नवमी को महादेव देवताओं की समस्यायें सुनते हैं , शुक्लपक्ष की तृतीया और दशमी में भी महादेव देवताओं की समस्यायें सुनते हैं । 
कृष्णपक्ष की तृतीया और दशमी को नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं , शुक्लपक्ष की चतुर्थी और एकादशी को भी नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं , कृष्णपक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी को रुद्र भोजन करते हैं , शुक्लपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भी रुद्र भोजन करते हैं , इन तिथियों में मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक नहीं किया जा सकता है । कुछ व्रत और त्योहार रुद्राभिषेक के लिए हमेशा शुभ ही होते हैं , उन दिनों में तिथियों का ध्यान रखने की जरूरत नहीं होती है , शिवरात्री , प्रदोष और सावन के सोमवार को शिव के निवास पर विचार नहीं करते , सिद्ध पीठ या ज्योतिर्लिंग के क्षेत्र में भी शिव के निवास पर विचार नहीं करते । रुद्राभिषेक के लिए ये स्थान और समय दोनों हमेशा मंगलकारी होते हैं , शिव कृपा से आपकी सभी मनोकामना जरूर पूरी होंगी , आपके मन में जैसी कामना हो , वैसा ही रुद्राभिषेक करिये और अपने जीवन को शुभ ओर मंगलमय बनाइयें ।

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