हिंदी में सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक कहानियां ! (best Hindi inspirational stories)

प्रेरणादायक कहानी आपको व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमेशा प्रेरित करती है।  यहां हम कुछ प्रेरणादायक कहानियां साझा करते हैं जिन्हें अवश्य पढ़ना चाहिए और मित्रों और परिवार के सदस्यों के साथ साझा करना चाहिए।

Most Inspirational stories in Hindi. (हिंदी में सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक कहानियां ! ).

Hindi inspirational stories for successful life

लालच की दुनिया!!


एक दिन गाँव की एक बहू सफाई कर रही थी, मुँह में सुपारी थी पीक आया तो उसने गलती से यज्ञवेदी में थूक दिया। उसे आश्चर्य तब हुआ जब उसका थूक स्वर्ण में बदल गया। अब तो वह प्रतिदिन जान बूझकर वेदी में थूकने लगी और उसके पास धीरे-धीरे स्वर्ण बढ़ने लगा।
महिलाओं में बात तेजी से फैलती है, इसलिए कई और महिलाएं भी अपने-अपने घर में बनी यज्ञवेदी में थूक-थूक कर सोना उत्पादन करने लगीं। धीरे-धीरे पूरे गाँव में यह सामान्य चलन हो गया। सिवाय एक महिला के, उस महिला को भी अनेक दूसरी महिलाओं ने उकसाया, समझाया, अरी ! तू क्यों नहीं थूकती ? 
जी, बात यह है कि मैं अपने पति की अनुमति बिना यह कार्य हर्गिज नहीं करूँगी और जहाँ तक मुझे ज्ञात है वह अनुमति नहीं देंगे। किन्तु ग्रामीण महिलाओं ने ऐसा वातावरण बनाया कि आखिर उसने एक रात डरते-डरते अपने पति को पूछ ही लिया। खबरदार जो ऐसा किया तो, यज्ञवेदी क्या थूकने की चीज़ है ? 
पति की गरजदार चेतावनी के आगे बेबस वह महिला चुप हो गई पर जैसा वातावरण था और जो चर्चाएँ होती थी, उनसे वह साध्वी स्त्री बहुत व्यथित रहने लगी। खास कर उसके सूने गले को लक्ष्य कर अन्य स्त्रियाँ अपने नए-नए कण्ठ-हार दिखाती तो वह अन्तर्द्वन्द में घुलने लगी। पति की व्यस्तता और स्त्रियों के उलाहने उसे धर्मसंकट में डाल देते। 
यह शायद मेरा दुर्भाग्य है, अथवा कोई पूर्वजन्म का पाप कि एक सती स्त्री होते हुए भी मुझे एक रत्ती सोने के लिए भी तरसना पड़ रहा है। शायद यह मेरे पति का कोई गलत निर्णय है, ओह ! इस धर्माचरण ने मुझे दिया ही क्या है ? 
जिस नियम के पालन से दिल कष्ट पाता रहे उसका पालन क्यों करूँ ? और हुआ यह कि वह बीमार रहने लगी। पतिदेव इस रोग को ताड़ गए और उन्होंने एक दिन ब्रह्म मुहूर्त में ही सपरिवार ग्राम त्यागने का निश्चय किया। गाड़ी में सारा सामान डालकर वे रवाना हो गए। सूर्योदय से पहले-पहले ही वे बहुत दूर निकल जाना चाहते थे। 

किन्तु ! अरे ! यह क्या ? ज्यों ही वे गाँव की कांकड़ (सीमा) से बाहर निकले ! पीछे भयानक विस्फोट हुआ। पूरा गांव धू-धू कर जल रहा था। सज्जन दम्पत्ति अवाक् रह गए। अब उस स्त्री को अपने पति का महत्त्व समझ आ गया। वास्तव में, इतने दिन गाँव बचा रहा, तो केवल इस कारण कि उसका परिवार गाँव की परिधि में था। 

शिक्षा:-
धर्मांचरण करते रहें, कुछ पाने के लालच में इंसान बहुत कुछ खो बैठता है। इसलिए लालच से बचें।

ईश्वर की महिमा !

               
 रात दस बजे लगभग अचानक मुझे एलर्जी हो गई।घर पर दवाई नहीं, न ही इस समय मेरे अलावा घर में कोई और।
                 श्रीमती जी बच्चों के पास गोवा और हम रह गए अकेले।
               ड्राईवर भी अपने घर जा चुका था बाहर हल्की बारिश की बूंदे सावन महीने के कारण बरस रही थी।

               दवा की दुकान ज्यादा दूर नहीं थी पैदल भी जा सकता था लेकिन बारिश की वज़ह से मैंने रिक्शा लेना उचित समझा।

               *बगल में राम मन्दिर बन रहा था*। 

एक रिक्शा वाला भगवान की प्रार्थना कर रहा था।

              मैंने उससे पूछा चलोगे, तो उसने सहमति में सर हिलाया और बैठ गए हम रिक्शा में! 
              रिक्शा वाला काफी़ बीमार लग रहा था और उसकी आँखों में आँसू भी थे।

               मैंने पूछा,"क्या हुआ भैया! रो क्यूँ रहे हो और तुम्हारी तबियत भी ठीक नहीं लग रही।"
             उसने बताया:-

 *बारिश की वजह से तीन दिन से सवारी नहीं मिली और वह भूखा है बदन दर्द भी कर रहा है,अभी भगवान से प्रार्थना कर रहा था क़ि आज मुझे भोजन दे दो, मेरे रिक्शे के लिए सवारी भेज दो*
            मैं बिना कुछ बोले रिक्शा रुकवाकर दवा की दुकान पर चला गया।
               *वहां खड़े खड़े सोच रहा था.......*
               "कहीं भगवान ने तो मुझे इसकी मदद के लिए नहीं भेजा।

क्योंकि यदि यही एलर्जी आधे घण्टे पहले उठती तो मैं ड्राइवर से दवा मंगाता,रात को बाहर निकलने की मुझे कोई ज़रूरत भी नहीं थी,और पानी न बरसता तो रिक्शे में भी न बैठता।"
मन ही मन भगवांन को याद किया और पूछ ही लिया भगवान से,!
मुझे बताइये क्या आपने रिक्शे वाले की मदद के लिए भेजा है?"
मन में जवाब मिला... "हाँ"...।

            मैंने भगवान को धन्यवाद् दिया,अपनी दवाई के साथ रिक्शेवाले के लिए भी दवा ली।

             *बगल के रेस्तरां से छोले भटूरे पैक करवाए और रिक्शे पर आकर बैठ गया।*
      *जिस मन्दिर के पास से रिक्शा लिया था वहीँ पहुंचने पर मैंने रिक्शा रोकने को कहा।*
             उसके हाथ में रिक्शे के 30 रुपये दिए,
गर्म छोले भटूरे का पैकेट और दवा देकर बोला:-

*"खाना खा कर यह दवा खा लेना, एक एक गोली ये दोनों अभीऔर एक एक कल सुबह नाश्ते के बाद,उसके बाद मुझे आकर फिर दिखा जाना।*

             रोते हुए रिक्शेवाला बोला:-
*"मैंने तो भगवान से दो रोटी मांगी थी मग़र भगवान ने तो मुझे छोले भटूरे दे दिए।कई महीनों से इसे खाने की इच्छा थी। आज भगवान ने मेरी प्रार्थना सुन ली।*
और 
जो मन्दिर के पास उसका बन्दा रहता था उसको मेरी मदद के लिए भेज दिया।"

            कई बातें वह बोलता रहा और मैं स्तब्ध हो सुनता रहा।

             घर आकर सोचा क़ि उस रेस्तरां में बहुत सारी चीज़े थीं, मैं कुछ और भी ले सकता था,
समोसा या खाने की थाली ..
पर मैंने छोले भटूरे ही क्यों लिए?
क्या सच् में भगवान ने मुझे रात को अपने भक्त की मदद के लिए ही भेजा था..?

                 *हम जब किसी की मदद करने सही वक्त पर पहुँचते हैं तो इसका मतलब उस व्यक्ति की प्रार्थना भगवान ने सुन ली,*

और 
हमें अपना प्रतिनिधि बना, देवदूत बना उसकी मदद के लिए भेज दिया।
   
                                             इसलिए कहते  हैं , अचानक आए परोपकार, दान और मदद के मौके को ना गवाएं ....क्या पता....  ईश्वर ने आपको मौका दिया है उनके प्रतिनिधि के रूप में....

समर्पण का भाव।


एक बार एक बेहद ख़ूबसूरत महिला समुद्र के किनारे रेत पर टहल रही थी।
समुद्र की लहरों के साथ कोई एक बहुत चमकदार पत्थर छोर पर आ गया।
महिला ने वह नायाब सा दिखने वाला पत्थर उठा लिया।
वह पत्थर नहीं  असली हीरा था।
महिला ने चुपचाप उसे अपने पर्स में रख लिया।
लेकिन उसके हाव-भाव पर बहुत फ़र्क नहीं पड़ा।
पास में खड़ा एक बूढ़ा व्यक्ति बडे़ ही कौतूहल से यह सब देख रहा था।

अचानक वह अपनी जगह से उठा और उस महिला की ओर बढ़ने लगा।
महिला के पास जाकर उस बूढ़े व्यक्ति ने उसके सामने हाथ फैलाये और बोला :---- 
मैंने पिछले चार दिनों से कुछ भी नहीं खाया है।
क्या तुम मेरी मदद कर सकती हो???
उस महिला ने तुरंत अपना पर्स खोला और कुछ खाने की चीज ढूँढ़ने लगी।
उसने देखा बूढ़े की नज़र उस पत्थर पर है जिसे कुछ समय पहले उसने समुद्र तट पर रेत में पड़ा हुआ पाया था।

महिला को पूरी कहानी समझ में आ गयी।
उसने झट से वह पत्थर निकाला और उस बूढ़े को दे दिया।
बूढ़ा सोचने लगा कि कोई ऐसी क़ीमती चीज़ भला इतनी आसानी से कैसे दे सकता है???
बूढ़े ने गौर से उस पत्थर को देखा  वह असली हीरा था
बूढ़ा सोच में पड़ गया।

इतने में औरत पलट कर वापस अपने रास्ते पर आगे बढ़ चुकी थी।
बूढ़े ने उस औरत से पूछा :--- क्या तुम जानती हो कि 
यह एक बेशकीमती हीरा है???
महिला ने जवाब देते हुए कहा :---- जी हाँ और मुझे यक़ीन है कि यह हीरा ही है।
लेकिन मेरी खुशी इस हीरे में नहीं है बल्कि मेरे भीतर है।
समुद्र की लहरों की तरह ही दौलत और शोहरत आती जाती रहती है।

अगर अपनी खुशी इनसे जोड़ेंगे तो कभी खुश नहीं रह सकते।बूढ़े व्यक्ति ने हीरा उस महिला को वापस कर दिया और कहा कि यह हीरा तुम रखो और
मुझे इससे कई गुना ज्यादा क़ीमती वह समर्पन का भाव दे दो
जिसकी वजह से तुमने इतनी आसानी से यह हीरा मुझे दे दिया!!
              

सबसे अमीर कौन? 

दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति बिल गेट्स से किसी ने पूछा - 'क्या इस धरती पर आपसे भी अमीर कोई है ?

_*बिल गेट्स ने जवाब दिया - हां, एक व्यक्ति इस दुनिया में मुझसे भी अमीर है।*_

_*कौन ---!!!!!*_

_*बिल गेट्स ने बताया:*_
_*एक समय मे जब मेरी प्रसिद्धि और अमीरी के दिन नहीं थे, मैं न्यूयॉर्क एयरपोर्ट पर था.. वहां सुबह सुबह अखबार देख कर, मैंने एक अखबार खरीदना चाहा,पर मेरे पास खुदरा पैसे नहीं थे.. सो, मैंने अखबार लेने का विचार त्याग कर उसे वापस रख दिया.. अखबार बेचने वाले लड़के ने मुझे देखा, तो मैंने खुदरा पैसे/सिक्के न होने की बात कही.. लड़के ने अखबार देते हुए कहा - यह मैं आपको मुफ्त में देता हूँ..*_ 

_*बात आई-गई हो गई.. कोई तीन माह बाद संयोगवश उसी एयरपोर्ट पर मैं फिर उतरा और अखबार के लिए फिर मेरे पास सिक्के नहीं थे।उस लड़के ने मुझे फिर से अखबार दिया, तो मैंने मना कर दिया। मैं ये नहीं ले सकता.. उस लड़के ने कहा, आप इसे ले सकते हैं, मैं इसे अपने प्रॉफिट के हिस्से से दे रहा हूँ.. मुझे नुकसान नहीं होगा। मैंने अखबार ले लिया......*_

_*19 साल बाद अपने प्रसिद्ध हो जाने के बाद एक दिन मुझे उस लड़के की याद आयी और मैंने उसे ढूंढना शुरू किया। कोई डेढ़ महीने खोजने के बाद आखिरकार वह मिल गया। मैंने पूछा - क्या तुम मुझे पहचानते हो ?*_

_*लड़का - हां, आप मि. बिल गेट्स हैं.*_

_*गेट्स - तुम्हे याद है, कभी तुमने मुझे फ्री में अखबार दिए थे ?*_

_*लड़का - जी हां, बिल्कुल.. ऐसा दो बार हुआ था..*_

_*गेट्स- मैं तुम्हारे उस किये हुए की कीमत अदा करना चाहता हूँ.. तुम अपनी जिंदगी में जो कुछ चाहते हो, बताओ, मैं तुम्हारी हर जरूरत पूरी करूंगा..*_

_*लड़का - सर, लेकिन क्या आप को नहीं लगता कि, ऐसा कर के आप मेरे काम की कीमत अदा नहीं कर पाएंगे..*_

_*गेट्स - क्यूं ..!!!*_

_*लड़का - मैंने जब आपकी मदद की थी, मैं एक गरीब लड़का था, जो अखबार बेचता था..*_
_*आप मेरी मदद तब कर रहे हैं, जब आप इस दुनिया के सबसे अमीर और सामर्थ्य वाले व्यक्ति हैं.. फिर, आप मेरी मदद की बराबरी कैसे करेंगे...!!!*_

_*बिल गेट्स की नजर में, वह व्यक्ति दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति से भी अमीर था,*_ _*क्योंकि-----*_
_*"किसी की मदद करने के लिए, उसने अमीर होने का इंतजार नहीं किया था "..._
अमीरी पैसे से नहीं दिल से होती है दोस्तों किसी की मदद करने के लिए अमीर दिल का होना भी बहुत जरूरी है !

माँ और बेटा की कहानी! 

एक माँ अपने पूजा-पाठ से फुर्सत पाकर अपने विदेश में रहने वाले बेटे से फोन पर बात करते समय पूँछ बैठी: ... बेटा! कुछ पूजा-पाठ भी करते हो या फुर्सत ही नहीं मिलती?

बेटे ने माँ को बताया - "माँ, मैं एक आनुवंशिक वैज्ञानिक हूँ ...मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूँ ...Theory of evolution, Charles Darwin... क्या आपने उसके बारे में सुना है ?"

उसकी माँ मुस्कुरा कर बोली - “मैं Darwin के बारे में जानती हूँ, बेटा ... मैं यह भी जानती हूँ कि तुम जो सोचते हो कि उसने जो भी खोज की, वह वास्तव में सनातन धर्म के लिए बहुत पुरानी खबर है...“

“हो सकता है माँ !” बेटे ने भी व्यंग्यपूर्वक कहा ...
“यदि तुम कुछ होशियार हो, तो इसे सुनो,” उसकी माँ ने प्रतिकार किया...

... “क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना है ? विष्णु के दस अवतार ?”

बेटे ने सहमति में कहा "हाँ! पर दशावतार का मेरी रिसर्च से क्या लेना-देना?"

माँ फिर बोली: लेना-देना है मेरे लाल... मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम और मि. डार्विन क्या नहीं जानते हैं ?

पहला अवतार था मत्स्य अवतार, यानि मछली | ऐसा इसलिए कि जीवन पानी में आरम्भ हुआ | यह बात सही है या नहीं ?”

बेटा अब और अधिक ध्यानपूर्वक सुनने लगा |

उसके बाद आया दूसरा कूर्म अवतार, जिसका अर्थ है कछुआ, क्योंकि जीवन पानी से जमीन की ओर चला गया 'उभयचर (Amphibian)' | तो कछुए ने समुद्र से जमीन की ओर विकास को दर्शाया |

तीसरा था वराह अवतार, जंगली सूअर, जिसका मतलब जंगली जानवर जिनमें बहुत अधिक बुद्धि नहीं होती है | तुम उन्हें dinosaurs कहते हो, सही है ? बेटे ने आंखें फैलाते हुए सहमति जताई |

चौथा अवतार था नृसिंह अवतार, आधा मानव, आधा पशु, जंगली जानवरों से बुद्धिमान जीवों तक विकास |

पांचवें वामन अवतार था, बौना जो वास्तव में लंबा बढ़ सकता था | क्या तुम जानते हो ऐसा क्यों है ? क्योंकि मनुष्य दो प्रकार के होते थे, homo erectus और homo sapiens, और homo sapiens ने लड़ाई जीत ली |"

बेटा दशावतार की प्रासंगिकता पर स्तब्ध हो रहा था जबकि उसकी माँ पूर्ण प्रवाह में थी...

छठा अवतार था परशुराम - वे, जिनके पास कुल्हाड़ी की ताकत थी, वो मानव जो गुफा और वन में रहने वाला था | गुस्सैल, और सामाजिक नहीं |

सातवां अवतार था मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, सोच युक्त प्रथम सामाजिक व्यक्ति, जिन्होंने समाज के नियम बनाए और समस्त रिश्तों का आधार |

आठवां अवतार था जगद्गुरु श्री कृष्ण, राजनेता, राजनीतिज्ञ, प्रेमी जिन्होंने ने समाज के नियमों का आनन्द लेते हुए यह सिखाया कि सामाजिक ढांचे में कैसे रहकर फला-फूला जा सकता है |

नवां अवतार था भगवान बुद्ध, वे व्यक्ति जो नृसिंह से उठे और मानव के सही स्वभाव को खोजा | उन्होंने मानव द्वारा ज्ञान की अंतिम खोज की पहचान की |

और अंत में दसवां अवतार कल्कि आएगा, वह मानव जिस पर तुम काम कर रहे हो | वह मानव जो आनुवंशिक रूप से अति-श्रेष्ठ होगा |

बेटा अपनी माँ को अवाक होकर सुनता रहा |

अंत में बोल पड़ा "यह अद्भुत है माँ, भारतीय दर्शन वास्तव में अर्थपूर्ण है |"

..वेद, उपनिषद, और पुराण पूर्ण रूप से वैज्ञानिक और अर्थपूर्ण हैं| सिर्फ आपका देखने का नज़रिया होना चाहिए धार्मिक या वैज्ञानिक ?

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