गोवर्धन पूजा, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि !
Goverdhan puja vidhi information |
क्यों मनाई जाती है गोवर्धन पूजा
धार्मिक मान्यताों के अनुसार द्वापर युग में भगवान नारायण ने पृथ्वी पर धर्म की स्थापना के लिए बृज भूमि में श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था। उस युग में बृज के लोग भगवान इंद्र को अपना ईष्ट देव मानते थे। लेकिन श्रीकृष्ण का मानना था कि जो पर्वत बृज वासियों को फल, फूल और अन्य सुविधाएं देता है, उसे छोड़ कर देवराज इंद्र की पूजा क्यों की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण के कहने पर बृज वासियों ने देवराज इंद्र की पूजा करने के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। इससे नाराज होकर देवराज इंद्र ने लगातार बारिश कर पूरी बृज भूमि को पानीमय कर दिया था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र के अहंकार को नष्ट करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने हाथों की सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया था और गोकुल वासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था। तभी से गोवर्धन पूजा की परंपरा शुरू हुई थी।
ऐसे हुआ गोवर्धन महाराज का जन्म (Govardhan Puja Vrat Katha)
गर्ग संहिता के गिरिराज खंण्ड में वर्णित कथा के अनुसार गोवर्धन पर्वत का जन्म शालमली द्वीप के ऊपर हुआ था। एक बार एक काशी के विद्वान श्री पुलस्त ऋषि भ्रमण करत हुए शालमली द्वीप पर पहुंचे और द्रोणाचल के पुत्र गोवर्धन महाराज को देखकर मोहित हो गए। उन्होंने सोचा भोलेनाथ की पावन नगरी काशी में अगर मैं गोवर्धन को ले जाऊं तो वहां की शोभा और भी बढ़ जाएगी। पुलस्त ऋषि ने द्रोणाचल से दान स्वरूप गोवर्धन को मांग लिया।
पुलस्त ऋषि ने गुस्से में आकर दिया था श्राप (Govardhan Puja Story in Hindi)
वृंदावन पहुंचते ही गोवर्धन महाराज को अहसास हुआ कि यहां भगवान श्री कृष्ण अवतार लेने वाले हैं। ऐसे में उन्होंने धीरे धीरे अपना वजन बढ़ाना प्रारंभ कर दिया। पुलस्त ऋषि अपनी प्रतिज्ञा को भूल चुके थे और उन्होंने गोवर्धन महाराज को नीचे रख दिया। इसके बाद पुलस्त ऋषि ने उन्हें पुन: उठाने का प्रयास किया लेकिन वह नाकामयाब रहे। गोवर्धन महाराज ने उन्हें उनकी प्रतिज्ञो को याद दिलाया। गोवर्धन महाराज के इस कृत्य से पुलस्त ऋषि ने गुस्से में आकर उन्हें श्राप दिया था कि प्रतिदिन तिल तिल खत्म होते जाओगे। इसी कारण गोवर्धन महाराज तिलभर तिलभर प्रतिदिन कम होते हैं।
गोवर्धन पूजा का समय (Govardhan Puja puja muhurat)
सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। गोवर्धन पूजा सुबह और शाम दोनों समय किया जाता है। इस दिन पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 28 मिनट से सुबह 7 बजकर 55 मिनट तक है। वहीं पूजन का दूसरा शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 16 मिनट से 5 बजकर 43 मिनट तक यानि 27 मिनट तक है।
गोवर्धन पूजन विधि
दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। इस त्योहार के दिन गोवर्धन पर्वत, गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। गोवर्धन पूजा जहां एक तरफ भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति दिखाने का पर्व है वहीं यह प्रकृति के प्रति आभार और सम्मान व्यक्त करने का त्योहार भी है।
गोर्वधन पूजा के लिए गाय के ताजे गोबर से फर्श पर चौक और पर्वत बनाएं और इसे फूलों से सजाएं।
गोवर्धन पूजा में गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल और फूल आदि चढ़ाएं और कथा पढ़ें।
गोवर्धन पूजा पर गाय की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इसके अलावा इस दिन कृषि काम में आने वाले पशुओं की पूजा की जाती है।
गोवर्धन पूजा पर गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में गोवर्धन पर्वत बनाए जाते हैं। फिर गोवर्धन पुरुष की नाभि पर एक मिट्टी का दीपक रखा जाता है। इस दीपक जलाने के साथ दूध, दही, गंगाजल आदि पूजा करते समय अर्पित किए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में बांट दिए जाते हैं।
पूजा करने के बाद गोवर्धन की सात बार परिक्रमा करें। परिक्रमा के वक्त हाथों में जल से भरा कोई पात्र या लोटा लें और परिक्रमा के दौरान जल को गिराते जाएं।
गोवर्धन पूजा में अन्नकूट का प्रसाद जरूर चढ़ाएं और पूजा के बाद घर के सभी सदस्यों को यह प्रसाद ग्रहण करने के लिए दें। गोवर्धन पूजा करने से धन और संतान सुख में वृद्धि होती है।
गोवर्धन पूजा का महत्व (Govardhan Puja Significance)
गोवर्धन पूजा का सीधा संबंध भगवान श्री कष्ण से होता है। इस दिन गाय के गोबर का गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा और परिक्रमा की जाती है। हिंदू धर्म में गाय को धन की देवी मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। गोवर्धन पूजा करने से पर्यावरण शुद्ध रहता है और स्वास्थ्य संबंधी सभी परेशानियां दूर होती हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्रदेव का अहंकार तोड़ा था। बृजवासी इंद्रदेव की पूजा करते थे, लेकिन भगवान श्री कृष्ण के कहने पर गोकुलवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इस दिन से दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पावन पर्व मनाया जाता है।
क्या है अन्नकूट
इस दिन को अन्नकूट भी कहते हैं. अन्नकूट कई तरह के अन्न और सब्जियों के समूह को कहा जाता है. इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार 21, 51, 101 और 108 सब्ज़ियों को मिलाकर एक तरह की मिक्स सब्ज़ी बनाई जाती है जिसको विशेष तौर पर गोवर्धन पूजा के दिन भगवान को भोग लगाने के लिए बनाया जाता है. इसके साथ ही तरह-तरह के अन्न से तैयार पकवान और मिठाइयों से भी भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाने की परम्परा है.
0 Comments